अश्वगंधा है मधुमेह का इलाज - Ashwagandha for diabetes in Hindi
अश्वगंधा लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में सुगर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया गया है। डायबिटीज के उपचार में अश्वगंधा के उपयोग पर अनुसंधान ने सकारात्मक परिणाम का संकेत दिया है। प्रयोगों ने दर्शाया कि जब अश्वगंधा का सेवन चार सप्ताह की अवधि के लिए किया गया, तब उपवास और दोपहर के खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आई।
बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अश्वगंधा खाने से ब्लड शुगर स्तर कम होता है।
एक टेस्ट ट्यूब स्टडी में देखा गया था की अश्वगंधा खाने से इन्सुलिन की मात्रा शरीर में बढ़ती है और मांसपेशियों में इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है।
(और पढ़ें - इन्सुलिन क्या होता है)
मनुष्यों पर अध्ययन करने से पता चला है कि अश्वगंधा खाने से स्वस्थ और डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर स्तर कम हो जाता है।
(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए)
शताब्दियों से माना गया है कि अश्वगंधा में कामोद्दीपक गुण है और लोगों ने इसे एक दवा के रूप में इस्तेमाल किया ताकि उनकी जीवन शक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार हो। हाल ही के एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह दर्शाया गया कि अश्वगंधा कामोद्दीपक दवा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अच्छी तरह से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह पूरे शरीर में तनाव भी कम कर देता है।
(और पढ़ें - प्रजनन क्षमता बढ़ाने के उपाय)
हाइपोथायरायडिज़्म के मामलों में, अश्वगंधा का इस्तेमाल थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। थायरॉयड ग्रंथि पर अश्वगंधा के प्रभाव पर एक अध्ययन से पता चला है कि इसकी जड़ों का एक्सट्रैक्ट, अगर प्रतिदिन लिया जाए, तो थायराइड हार्मोन के स्राव में वृद्धि होगी।
(और पढ़ें - थाइरोइड का घरेलु उपाय)
अश्वगंधा एंटीऑक्सीडेंट का एक बहुत अच्छा स्रोत है। ये एंटीऑक्सीडेंट चयापचय (metabolism) की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न मुक्त कण को साफ और निष्क्रिय करने में बहुत प्रभावी रहे हैं।
(और पढ़ें - मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय)
अश्वगंधा निचले अंगों की मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लाने और कमज़ोरी दूर करने में उपयोगी पाया गया है। यह मस्तिष्क और मासपेशियों के बीच समन्वय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा से शरीर की संरचना और ताकत बढ़ती है।
पुरुषों में अश्वगंधा खाने से मांसपेशियां तंदरुस्त होती हैं, शरीर के चर्बी घटती है और ज़ोर बढ़ता है।
(और पढ़ें - चर्बी कम करने के उपाय)
त्यागराजन एट अल द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट और साइटोप्रोटेक्टिव गुण मोतियाबिंद रोग से लड़ने में अच्छे हैं।
(और पढ़ें - मोतियाबिंद से बचने के उपाय)
श्रृंगीयता (keratosis) के कारण त्वचा सख्त और रूखी हो जाती है। अश्वगंधा का उपयोग श्रृंगीयता (keratosis) के इलाज में किया जाता है। श्रृंगीयता की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में दो बार पानी के साथ तीन ग्राम अश्वगंधा लें। त्वचा को युवा रखने के लिए यह कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता है और प्राकृतिक त्वचा तेलों की वृद्धि में मदद करता है। अश्वगंधा में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो झुर्रियों, काले धब्बे जैसे उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ने में सहायक हैं। अश्वगंधा त्वचा कैंसर से भी बचाता है।
(और पढ़ें - लिवर कैंसर का इलाज)
अश्वगंधा शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के गिरने को नियंत्रित करता है। अश्वगंधा बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले बालों के ग्रे होने को रोकता है। अश्वगंधा में टाइयरोसीन है जो एक एमिनो एसिड है और शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
अश्वगंधा से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं। अश्वगंधा और नारियल तेल से बनाया गया टॉनिक रोज़ बालों पर लगाने से बाल नहीं झड़ते।
अश्वगंधा को गिलोय में मिलाकर लगाने से हड्डियों को सहारा मिलता है और खोपड़ी बालों को संभालने के लिए मज़बूत होती है।
सामान्य से कम नींद मिलने पर तनाव होता है। कम सोने से तनाव और चिंता बढ़ती है जिससे ज़्यादा बाल झड़ते हैं। अश्वगंधा से अच्छी नींद आती है और वो चिंता को कम करता है जो बाल झड़ने का मुख्य कारण है। लम्बे समय से चले आ रहे तनाव से ग्रस्त वयस्कों का अध्ययन करने पर पता चला कि अश्वगंधा लेने से अनिद्रा और चिंता 69.7% कम होती है।
(और पढ़ें - अच्छी नींद आने के उपाय)
व्यस्क पुरुषों में अध्ययन करने से पता चला कि अश्वगंधा लेने से बालों में मेलानिन की मात्रा बढ़ी है।
(और पढ़ें - बाल काले करने के उपाय)